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Preparation to implement cashless facility in all hospitals know how you will benefit from it

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भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDA) स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी (Health Insurance) में नई सुविधा शुरू करने की तैयारी कर रहा है। इसके तहत पॉलिसीधारक किसी भी अस्पताल में पूरी तरह कैशलेस इलाज करा पाएंगे। कोई अस्पताल तकनीकी या अन्य कारणों का हवाला देते हुए मना नहीं कर पाएगा। इसके लिए इरडा बीमा कंपनियों के साथ मिलकर प्रस्ताव तैयार कर रहा है, जिसे जल्द ही स्वीकृति मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।

अस्पतालों का नेटवर्क तैयार होगा: नकदी रहित प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए इरडा देशभर में अस्पतालों का राष्ट्रीय नेटवर्क तैयार करने की प्रक्रिया में जुटा है। इसके लिए बीमा परिषद के साथ मिलकर काम किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि पहले चरण में परिषद के माध्यम से एक केंद्रीकृत नेटवर्क का निर्माण होगा, जिस पर अस्पतालों और सभी बीमा कंपनियों में उद्योग स्तर पर समझौता होगा। परिषद के सदस्य इस समझौते का हिस्सा होंगे। परिषद ने अस्पतालों का एक साझा पैनल बनाने के लिए पहले ही समिति गठित कर दी है। वर्तमान में देश में करीब 49 फीसदी अस्पताल ही कैशलेस इलाज की सुविधा देते हैं। अनुमान के मुताबिक, ऐसे अस्पतालों की संख्या करीब 25 हजार है।

यह होगा फायदा: इस पहल के लागू होने के बाद प्रत्येक बीमा कंपनी के ग्राहक के पास कैशलेस अस्पतालों के नेटवर्क तक पहुंच होगी और उनके दावों का निपटान भी आसानी से होगा। इसे सुनिश्चित करने का काम बीमा उद्योग के प्रतिनिधि करेंगे। इससे होने वाला खर्च बहुत कम हो जाएगा और किसी भी तरह के फर्जीवाड़े पर रोक लगेगी।

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अभी यह होती है दिक्कत: वर्तमान में कई अस्पताल पॉलिसीधारक पर इलाज के लिए भर्ती होने के दौरान कुछ रकम जमा करने का दबाव बनाते हैं और रकम जमा भी करनी पड़ती है। इसके साथ ही ज्यादातर अस्पताल कैशलेस दावों वाले मरीजों को भर्ती ही नहीं करते हैं। वहीं, बीमा कंपनियां उपभोग्य सामग्रियों और अन्य मदों के नाम पर कुल बिल से 10 प्रतिशत या उससे अधिक की कटौती करती हैं। कैशलेस क्लेम के मामले भी लंबित रहते हैं। वर्तमान में अधिकांश बीमा कंपनियों के लिए कैशलेस क्लेम सेटलमेंट लगभग 65% से 70% है।

विवाद भी दूर होंगे: ऐसे भी मामले कई बार सामने आए हैं, जिनमें दावों के निपटान को लेकर अस्पतालों और बीमा कंपनियों के बीच विवाद हो गया है। इरडा की नई व्यवस्था ऐसे विवादों को भी दूर करेगी।



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अभिषेक

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